Is waqt
shant, gambheer yah bimb
tej, aag ki tapish jaisa
ugal raha hai krodh,
kuch antardwandh,
kuch ahankar ka.
kuch us kshamata ki
jo chahe toh rakh kar de.....
Hai intezar
us toofan ka
jo kahar dha jayega,
boondon se bhigokar,
ek ek kan ko.
vidhwans ka doosra rukh
darakhton ke chehron pe..
Ek ore navjeevan,
ankurit, prasfutit.
aur kuch sookhe patte
kuchle prem ki tarah
bikharte hue
khatm hote hue........
इस वक़्त
शांत, गंभीर यह बिंब
तेज, आग की तपिश जैसा
उगल रहा है क्रोध,
कुछ अंतर्द्वंध
कुछ अहंकार का.
कुछ उस क्षमता की
जो चाहे तो रख कर दे.....
है इंतज़ार
उस तूफ़ान का
जो कहर ढा जाएगा,
बूँदों से भिगोकर,
एक एक कण को.
विध्वंस का दूसरा रुख़
दरख्तों के चेहरों पे..
एक ओर नवजीवन,
अंकुरित,प्रस्फुटित .
और कुछ सूखे पत्ते
कुचले प्रेम की तरह
बिखरते हुए
ख़त्म होते हुए........
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एक ओर नवजीवन,
ReplyDeleteअंकुरित,प्रस्फुटित .
और कुछ सूखे पत्ते
कुचले प्रेम की तरह
बिखरते हुए
ख़त्म होते हुए........
...यही शायद जीवन है...बहुत सुन्दर...
आभार कैलाश जी
Deleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteशुक्रिया
DeleteYou've really given life to the 'toofan'....nice one.. :-)
ReplyDeletehey thanks for dropping by ….
Deletebahut badhiya ..
ReplyDeleteशुक्रिया उपासना जी
DeleteKuch sookhe pattey..bikhre hue, kuchle hue. Very very beautiful :)
ReplyDeletethanks a lot for this lovely comment
Deleteएक ओर नवजीवन,
ReplyDeleteअंकुरित,प्रस्फुटित .
और कुछ सूखे पत्ते
कुचले प्रेम की तरह
बिखरते हुए
ख़त्म होते हुए........
Bahut khoob Ararnaji
abhaar Reeta ji..blog pe ane ka shukriya
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