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Monday, September 23, 2013

LAMHA... / लम्हा....



Ik lamha jo guzar gaya
kis raah gaya, kyon gaya?
Raahgeer hai kis manzil ka?
Muskurata hua gaya ki
berukhi mein dooba hua
Anmana sa ya kuchh badbadata hua
Bada beadab tha, ruka nahin
JabiN ke shikan ko dekha tak nahin
Lamha tha bas guzar gaya
Kuch harfon ko
apne saath le gaya
Lamha tha, bas guzar gaya....




इक लम्हा जो गुज़र गया
किस राह गया, क्यों गया?
राहगीर है किस मंज़िल का?
मुस्कुराता हुआ गया की
बेरूख़ी में डूबा हुआ
अनमना सा या कुछ बड़बड़ाता हुआ
बड़ा बेअदब था, रुका नहीं
जबीं के शिकन को देखा तक नहीं
लम्हा था बस गुज़र गया
कुछ हर्फ़ों को
अपने साथ ले गया
लम्हा था, बस गुज़र गया....




PIC- melissagalt.com 
TEXT- APARNA BOSE

28 comments:

  1. Replies
    1. शुक्रिया अलकनंदा जी

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  2. वाह! बहुत सुन्दर और सशक्त रचना....

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  3. बहुत अच्छी प्रस्तुति |
    आशा

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  4. लम्हा खुद में मगन चला गया .....

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    Replies
    1. टिप्पणी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया कौशल जी

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    2. khub acha likhaa aap ne.
      Vinnie

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    3. Vinnie ji issi tarah utsaah dete rahiyega...
      Saadar

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  5. बहुत बढ़िया ..

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    Replies
    1. abhaar Upasana ji.. site join karne ke liye bohat bohat shukriya

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  6. ...And the time passes and it leaves memories to cherish. Lovely poem, Aparna.

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    Replies
    1. Thank you for the lovely comment Saru..much appreciated

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  7. Beautiful lines with deeper meaning :)

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  8. सुंदर..भावपूर्ण रचना

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  9. वाह! बहुत सुन्दर और सशक्त रचना...

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  10. बहुत ही सुन्दर रचना बधाई

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  11. लम्हा आता है गुजर जाने के लिए .....बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
    गणपति वन्दना (चोका )
    हमारे रक्षक हैं पेड़ !

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