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Thursday, March 28, 2013

GUFTGU....... / गुफ़्तगू .......

Dhoondte dhoondte bhool hi gaye ki kya dhoond rahe the
Shayad waqt ko taalne ka bahana dhoond rahe the ..........

ढूँढ़ते ढूँढ़ते भूल ही गए की क्या ढूँढ रहे थे
शायद वक़्त को टालने का बहाना ढूँढ रहे थे .............
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Bohat asaan hai waqt ko gunhagaar saabit karna
aakhir bezubaan hai,kahta kuchh nahin, sirf sunta hai............

बहुत आसान है वक़्त को गुनहगार साबित करना
आख़िर बेज़ुबान है, कहता कुछ नहीं ,सिर्फ सुनता है ..........
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Amavas ki raat,aur aangan mein chaandni ki thandak,
mahakte hue juhi ke phool aur guftgu mein gum ham tum....
( Khwaab mein sab kuchh jayaz hai )

अमावस की रात ,और आँगन में चाँदनी की ठंडक ,
महकते हुए जूही के फूल और गुफ़्तगू में गुम  हम तुम ...
( ख़्वाब में सब कुछ जायज़ है )
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8 comments:

  1. Beautiful lines....

    Thanks for dropping your valuable comment on my blog, be in touch...
    Keep blogging :)

    ReplyDelete
  2. Thanks so much Noopur.I will definitely stay in touch... keep posting your thoughts... :)

    ReplyDelete
  3. वाह.....
    सच्ची.....ख्यालों में सब जायज़ है :-)

    अनु

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  4. धन्यवाद अनु :)......

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  5. ढूँढ़ते ढूँढ़ते भूल ही गए की क्या ढूँढ रहे थे
    शायद वक़्त को टालने का बहाना ढूँढ रहे थे ...

    बहुत खूब ... तीनों शेर लाजवाब हैं ... कमाल के हैं ...

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