ast vyast si zindagi ko sametne ke liye aise hi roshni ki to zaroorat hoti hai hamein .....guzre hue din ki thakawat bhulakar naye sfoorti ke saath naye din ki shuruaat asaan bana deti hai prakriti...apne adbhut sparsh se.............
PIC-GOOGLE |
चंचल, नटखट ,बसंती हवा और सूरज की किरणों ने जब नींद से जगाया तो यह एहसास हुआ कि सुबह हो चुकी है .........नींद से जागते ही इतना उजियारा !! संभवत: उस उम्मीद की किरण जैसा ,जो हताशा और ना-उम्मीदगी के दूसरे छोर पर खड़ी रहती है हमारे ही इंतज़ार में ......उज्वल, स्निग्ध, आशापूर्ण
अस्त व्यस्त सी ज़िन्दगी को समेटने के लिए ऐसी ही रौशनी की तो ज़रुरत होती है हमें ...गुज़रे हुए दिन की थकावट भूला कर नए स्फूर्ति के साथ नए दिन की शुरुआत आसान बना देती है प्रकृति ....अपने अद्भुत स्पर्श से .........
बहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
आभार यशवंत जी
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