Yun hi, bas yun hi
tham gayin thi saansein
mook ho gayin thi fizayein
jab us din
padha tha usne mantramugdh
ek nazm, kajal se varnit
us mayavi chakshu-sudha mein
aur doob gaya, vaastav se nirlipt
us din
apni satrangi duniya mein kaid
us vaakruddha pal ki gahanta
samajh na payi thi hatabhagi
us nishchhal prem ki mahanta
aaj bhi
saat rango ke mohpaash mein lipti
kajrare naino mein sapne liye
roshandaan ke sahare
khojti hai ek hriday apne liye
aaj bhi
wo dooba hua hai
us athah swapna-sindhu mein
ek atoot milan ki asha mein
vishwas hai use, khoj lega
apna marudweep, registaan mein
यूँ ही, बस यूँ ही
थम गयीं थी साँसें
मूक हो गयीं थी फ़िज़ायें
जब उस दिन
पढ़ा था उसने मंत्रमुग्ध
एक नज़्म, काजल से वर्णित
उस मायवी चक्षु-सुधा में
और डूब गया, वास्तव से निर्लिप्त
उस दिन
अपनी सतरंगी दुनिया में क़ैद
उस वाकरुद्ध पल की गहनता
समझ न पाई थी हतभागी
उस निश्छल प्रेम की महानता
आज भी
सात रंगो के मोहपाश में लिपटी
कजरारे नैनो में सपने लिए
रोशनदान के सहारे
खोजती है एक हृदय अपने लिए
आज भी
वो डूबा हुआ है
उस अथाह स्वप्न-सिंधु में
एक अटूट मिलन की आशा में
विश्वास है उसे,
खोज लेगा
अपना मरुद्वीप, रेगिस्तान में
pic courtesy- google
I must appreciate your skills in all the three languages. Its fascinating. This piece is yet another lovely portrayal of your imagination!!
ReplyDeletea very humble thank you for the appreciation Chirasree.much appreciated.
ReplyDeleteबेहतरीन मर्मस्पर्शी कविता।
ReplyDeleteसादर
शुक्रिया यशवंत।
Deleteबेहतरीन लाजवाब कविता :)
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार तुषार जी
Deleteख्याल में उभरता चेहरा
ReplyDeleteयथार्थ से बहुत अलग होता है।
फिर दुआ है आपकी कोशिश रंग लाए।
मन के सुन्दर जज़्बात और
ज़ेहन के अनमोल ख्यालात से उपजी,
आपकी इस बेहतरीन रचना के लिए। …. बधाई
जी , किसी भी लेखक या कवि की तरह मेरी भी यही कोशिश रहती है की अपने ख़यालों और भावनाओं को कुछ सुन्दर शब्दों तथा चरित्रों से सजा सकूं। हौसला अफज़ाई का शुक्रिया अभिषेक जी।
Deleteविश्वास है उसे,
ReplyDeleteखोज लेगा
अपना मरुद्वीप, रेगिस्तान में
बहुत सुंदर
बहुत बहुत शुक्रिया
Deleteबेहतरीन लाजवाब
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत आभार अशोक जी
Deleteलाजवाब रचना बहुत खूब...
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद पल्लवी जी
Deleteआज भी
ReplyDeleteवो डूबा हुआ है
उस अथाह स्वप्न-सिंधु में
एक अटूट मिलन की आशा में
विश्वास है उसे,
खोज लेगा
अपना मरुद्वीप, रेगिस्तान में
बहुत सुंदर ! हर एक शब्द हृदय पर अपना चिन्ह अंकित करता है और मर्म पर प्रभाव छोडता है ! बहुत खूब !
प्रोत्साहन तथा सराहना के लिए बहुत बहुत आभार दीदी।
DeleteVery nice effort.Aparnaji some time visit my blog,"Unwarat.com"
ReplyDeleteVinnie
thank you for the encouraging words Vinnie ji . will surely visit your blog
Deleteregards
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति अपर्णा जी , बधाई आपको ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रभावित करती रचना के लिए आपको बहुत बधाई ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार अन्नपूर्णा जी। आप खुद इतना अच्छा लिखती हैं ,आपकी टिपण्णी मेरे लिए बहुत मायने रखती है।
Deleteबहुत सुंदर रचना ! कल भी मैंने कमेन्ट किया था जो दिखाई नहीं दे रहा है !
ReplyDeleteदीदी मैंने आपकी टिपण्णी पब्लिश की है। reply देने का समय नहीं मिल पाया। माफ़ी चाहती हूँ।
Deleteमेरा एक अनुरोध है , कृपया हिंदी को ऊपर रखे एवं अंग्रेजी को नीचे ..आखिर कविता तो हिंदी में हैं
ReplyDeleteनीरज जी आप बिलकुल ठीक कह रहे हैं।पर आपको इसका कारण बता दूं … मेरे कुछ मित्र ऐसे हैं जो हिंदी समझते हैं पर पढ़ नहीं सकते ,उनके अनुरोध पे ही मैं रोमन स्क्रिप्ट में भी हिंदी लेख या कविता पोस्ट करती हूँ। कुछ लोग मोबाइल पे ही ब्लॉग पढ़ते हैं ,देवनागरी लिपि या तो access नहीं कर पाते या फिर अस्पष्ट होती है। उनके लिए ही रोमन स्क्रिप्ट ऊपर रखती हूँ ताकि ज़्यादा scroll न करना पड़े और ये भी समझ जाएँ की रोमन लिपि में भी मेरी पोस्ट उपलब्ध है । सबकी सुविधा असुविधा का ख़याल रखना पड़ता है न.…. कुछ अपना स्वार्थ भी है !!
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteकृपया यहाँ भी पधारें और अपने विचार रखे
, मैंने तो अपनी भाषा को प्यार किया है - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः11
धन्यवाद दर्शन जी। जी ज़रूर देखूँगी आपका ब्लॉग
Deleteसुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteआभार मदन जी
Deleteसहर्ष आभार नीरज जी
ReplyDeleteमजनू सा विश्वास हो तो निर्मल तरु जरूर निकल आता है रेगितान में भी ...
ReplyDeleteसुन्दर रचना ..
जी, बिलकुल सही
Deleteबहुत खुबसुरत मनभाती रचना
ReplyDeleteआपको मेरी रचना अच्छी लगी जानकर बेहद ख़ुशी हुई उपासना जी
Deleteबहुत बहुत सुंदर !
ReplyDeleteशब्दों का सुंदर संयोजन और उन शब्दों को अर्थ देती अभिव्यक्ति
ख़ुश रहो और ख़ूब लिखो !!
प्रोत्साहन देने के लिए आपकी ह्रदय से आभारी हूँ । इसी प्रकार अपना स्नेह एवं आशीर्वाद बनाये रखियेगा….
Deletekhoobsurat kavitaa
ReplyDeletedhanyavad Neelima ji
DeleteVery Nice ! Keep writing !
ReplyDeletethanks a lot for the encouragement Ananya...much appreciated
DeleteEta bangla te likhun aaro sundor laagbe. Thik ei bishoy ta bangla te darun khulbe. maccher Jhol er saathe Roti chole na.
ReplyDeleteSundar Bahut Sundar
ReplyDeleteLazawaab Jazbaat...
chesta korbo. thank u for your valuable input
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