Dhyan se dekha toh laga kuch akshar hain, jumbled words ki tarah. Socha chalo solve kiya jaye. Aksharon ko theek se sajaya toh jo ubhar ke aya wo tumhara hi naam tha .Ab bhram ho ya haqueekat mera din toh achche se guzra na !!
आज छोटे- छोटे, आड़े - तिरछे बादल के टुकड़े इस प्रकार आसमान के पन्ने पर बिखरे हुए थे मानो स्लानटेड हैण्डराइटिंग में कुछ लिख रहे हों। ध्यान से देखा तो लगा कुछ अक्षर हैं , जम्बल्ड वर्ड्स की तरह। सोचा चलो सॉल्व किया जाये। अब भ्रम हो या हकीक़त मेरा दिन तो अच्छे से गुज़रा न !!
Ade-tirchhe
kuchh rui jaise
bhure, slaty se
Haan tum jaise
jaise tumhara naam
neele rang pe
Kalpana meri
vaastav mein shayad
jo bhi hai, hai toh
Hai abhivyakti
meri parikalpana
tum hi toh ho
Ek nimitt
ambar pe ankit
tumhara naam
Ek roohani pal .
आड़े - तिरछे
कुछ रुई जैसे
भूरे, स्लेटी से
हाँ तुम जैसे
जैसे तुम्हारा नाम
नीले रंग पे
कल्पना मेरी
वास्तव में शायद
जो भी है, है तो
है अभिव्यक्ति
मेरी परिकल्पना
तुम ही तो हो
एक निमित्त
अम्बर पे अंकित
तुम्हारा नाम
एक रूहानी पल.
कुछ रुई जैसे
भूरे, स्लेटी से
हाँ तुम जैसे
जैसे तुम्हारा नाम
नीले रंग पे
कल्पना मेरी
वास्तव में शायद
जो भी है, है तो
है अभिव्यक्ति
मेरी परिकल्पना
तुम ही तो हो
एक निमित्त
अम्बर पे अंकित
तुम्हारा नाम
एक रूहानी पल.
बहुत उम्दा
ReplyDeleteशुक्रिया शौर्य जी
Deleteखुबसूरत प्रस्तुती......
ReplyDeleteabhaar Sushma ji
Deletebehtareen
ReplyDeleteAbhaar Pratibha ji
Deleteसुन्दर रचना.
ReplyDeletedhanyavad Niharji
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