Tumne.......
Godhuli bela mein
sinduri shaam ko sakshi maan
jate-jate, num ankhon se
palat kar dekha thaa
aur
alvida kaha thaa................
Maine........
saanjh-bati ki roshni mein
sapnon ko likhkar
jatan ke saath rakh diya thaa
sindook mein, sunhare lifafe mein
waqt ki hifaazat mein...............
Aaj...........
bhumi poojan ka lagn
phir wahi godhuli
mere sapnon ka ghar
neenv sajne se pahle
taktaki bandhe dekh raha hai
usi disha ki ore
jahan ham alag hue the.........
Sach .........
tum bhi jante ho
janta hai mera man bhi
tumhari num ankhon se hi
us chhalakte kharepan se hi
seencha gaya hai
mera aaj..................
( beeta hua kal ek prernasrot ke samaan hamare aaj ke saath bahta rahata hai aur hamare bhavishya ka atoot ang ban jata hai.....janm se lekar mrityu tak is adhe sach aur adhe jhooth ke chakra mein bandha rahta hai hamara kal ,aaj aur kal........ )
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तुमने .................
गोधुली बेला में
सिंदूरी शाम को साक्षी मान
जाते-जाते,नम आँखों से
पलट कर देखा था
और
अलविदा कहा था ..........
मैंने ...............
साँझ -बाती की रौशनी में
सपनों को लिखकर
जतन के साथ रख दिया था
सिंदूक में, सुनहरे लिफाफे में
वक़्त की हिफाज़त में .........
आज ...............
भूमि पूजन का लग्न
फिर वही गोधुली
मेरे सपनों का घर
नींव सजने से पहले
टकटकी बांधे देख रहा है
उसी दिशा की ओर
जहाँ हम अलग हुए थे .......
सच .............
तुम भी जानते हो
जानता है मेरा मन भी
तुम्हारी नम आँखों से ही
उस छलकते खारेपन से ही
सींचा गया है
मेरा आज ..................
( बीता हुआ कल एक प्रेरणास्रोत के समान हमारे आज के साथ बहता रहता है और हमारे भविष्य का अटूट अंग बन जाता है .....जन्म से लेकर मृत्यु तक इस आधे सच और आधे झूठ के चक्र में बंधा रहता है हमारा कल,आज और कल ....... )
ReplyDeleteदिनांक 21/03/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
इस पोस्ट को साँझा करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद यशवंत जी .....
Deleteआह! मन को छू गयी आपकी ये रचना, बेबाक सजीले शब्दों में सुन्दर अभिव्यक्ति। हलचल के लिंक से आना हुआ यहाँ, अच्छा लगा आकर।
ReplyDeleteशुभकामनाएं !
आभार मधुरेश जी ........
Deleteबहुत सुन्दर ...
ReplyDeleteपधारें "चाँद से करती हूँ बातें "
धन्यवाद प्रतिभा जी ....ज़रूर पढूंगी आपकी रचनायें ....
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