Ahankar tumhara ..
chheen leta hai masoomiyat
us bachche ki,jo baitha hai
dil ke ek kone mein
dubakkar,tumhare darr se
kyon?
Ik chingari nikalti hai,tumhare
seene ko cheerti hui,aur
nirjeev,shushk bhaawnaon ko
jala deti hai failti hui aag
dawanal ki ,aur
rah jata hai bhasmavshesh
Ahankar mera...
prateeksha mein ki kab
dawanal shant hoga,aur
thande bhasm se janm loge
naveen tum
prajwalit karta rahta hai
pratyek din ek dipakvriksh
aashaanwit, ki tum lautoge
chandan ki thandak odhke
prem ki roshni lekar.........
(dawanal- forest fire, wildfire ; shushk-dry; bhasmavshesh-ash; aashaanwit-full of hope)
pic courtesy-google |
अहंकार तुम्हारा ..
छीन लेता है मासूमियत
उस बच्चे की, जो बैठा है
दिल के एक कोने में
दुबककर,तुम्हारे डर से
क्यों?
इक चिंगारी निकलती है,तुम्हारे
सीने को चीरती हुई ,और
निर्जीव,शुष्क, भावनाओं को
जला देती है फैलती हुई आग
दावानल की , और
रह जाता है भस्मावशेष
अहंकार मेरा ..
प्रतीक्षा में की कब
दावानल शांत होगा,और
ठन्डे भस्म से जन्म लोगे
नवीन तुम
प्रज्वलित करता है
प्रत्येक दिन एक दीपकवृक्ष
आशान्वित, कि तुम लौटोगे
चन्दन की ठंडक ओढ़के
प्रेम की रौशनी लेकर ..
बेहतरीन और सकारात्मक भाव।
ReplyDeleteसादर
शुक्रिया यशवंत जी
ReplyDeleteइस रचना को साँझा करने के लिए तथा सराहना के लिए मैं आपकी आभारी हूँ विभा जी ...आपकी टिप्पणियों का आगे भी इंतजार रहेगा
ReplyDelete- सादर
बहुत खूब ... अहंकार की दिशा मोड़नी जरूरी है ... ओर प्रेम से ये संभव है ...
ReplyDeleteअच्छी रचना है ...
चन्दन की ठंडक ओढ़के
ReplyDeleteप्रेम की रौशनी लेकर .......बहुत प्यारी रचना
आभार .... रश्मि जी और दिगंबर जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति! मेरी बधाई स्वीकारें।
ReplyDeleteकृपया यहां पधार कर मुझे अनुग्रहीत करें-
http://voice-brijesh.blogspot.com
बहुत सुन्दर रचना अपर्णा ...
ReplyDeleteबधाई..
अनु
आभार अनु जी ...
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद बृजेश जी ..आपकी रचनाएँ ज़रूर पढूंगी ..
ReplyDeleteबहुत सुन्द
ReplyDeleteधन्यवाद अशोक जी ....
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