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Sunday, March 03, 2013

DAWANAL (Forest Fire) / दावानल ........

Unrequited love or one-sided love is not very rare in this world which is also inhabited by egotistic and headstrong individuals. Sometimes, in order to defy his /her feelings a person takes refuge in anger and haughtiness, without even once thinking about how the other person will feel. On the other hand, there are some people who believe in the power of love ,who have faith in loving unconditionally, even if it is one-sided , hoping against all hope that one day they will conquer the resentment or ignorance of the person who rules their heart….

Ahankar tumhara ..
chheen leta hai masoomiyat
us bachche ki,jo baitha hai
dil ke ek kone mein
dubakkar,tumhare darr se
kyon?
Ik chingari nikalti hai,tumhare
seene ko cheerti hui,aur
nirjeev,shushk bhaawnaon ko
jala deti hai failti hui aag
dawanal ki ,aur
rah jata hai bhasmavshesh

Ahankar mera...
prateeksha mein ki kab
dawanal shant hoga,aur
thande bhasm se janm loge
naveen tum
prajwalit karta rahta hai
pratyek din ek dipakvriksh
aashaanwit, ki tum lautoge
chandan ki thandak odhke
prem ki roshni lekar.........

(dawanal- forest fire, wildfire ; shushk-dry; bhasmavshesh-ash; aashaanwit-full of hope)

pic courtesy-google
अहंकार तुम्हारा ..
छीन लेता है मासूमियत
उस बच्चे की, जो बैठा है
दिल के एक कोने में
दुबककर,तुम्हारे डर से
क्यों?
इक चिंगारी निकलती है,तुम्हारे
सीने को चीरती हुई ,और
निर्जीव,शुष्क, भावनाओं को
जला देती है फैलती हुई आग
दावानल की , और
रह जाता है भस्मावशेष

अहंकार मेरा ..
प्रतीक्षा में की कब
दावानल शांत होगा,और
ठन्डे भस्म से जन्म लोगे
नवीन तुम
प्रज्वलित करता है
प्रत्येक दिन एक दीपकवृक्ष
आशान्वित, कि तुम लौटोगे
चन्दन की ठंडक ओढ़के
प्रेम की रौशनी लेकर ..





12 comments:

  1. बेहतरीन और सकारात्मक भाव।

    सादर

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  2. शुक्रिया यशवंत जी

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  3. इस रचना को साँझा करने के लिए तथा सराहना के लिए मैं आपकी आभारी हूँ विभा जी ...आपकी टिप्पणियों का आगे भी इंतजार रहेगा
    - सादर

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  4. बहुत खूब ... अहंकार की दिशा मोड़नी जरूरी है ... ओर प्रेम से ये संभव है ...
    अच्छी रचना है ...

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  5. चन्दन की ठंडक ओढ़के
    प्रेम की रौशनी लेकर .......बहुत प्‍यारी रचना

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  6. आभार .... रश्मि जी और दिगंबर जी

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  7. बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति! मेरी बधाई स्वीकारें।
    कृपया यहां पधार कर मुझे अनुग्रहीत करें-
    http://voice-brijesh.blogspot.com

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  8. बहुत सुन्दर रचना अपर्णा ...

    बधाई..
    अनु

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  9. आभार अनु जी ...

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  10. बहुत बहुत धन्यवाद बृजेश जी ..आपकी रचनाएँ ज़रूर पढूंगी ..

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  11. धन्यवाद अशोक जी ....

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