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Friday, November 01, 2013

SAPNE …/ सपने …



Aankhi,
sapt suron ko,
samanwit karti hai
kuch is tarah, ki
abadhya, agatra swapna
swayam mugdh hokar
chale aate hain
sama jate hain
nayan-pat ke
ksheernidhi mein.........




आँखी,
सप्त सुरों को,
समान्वित करती है
कुछ इस तरह, की
अबाध्य, अगात्र स्वप्न
स्वयं मुग्ध होकर
चले आते हैं,
समा जाते हैं
नयन-पट के
क्षीरनिधि में.




pic courtesy-www.tomfeldman.net 

16 comments:

  1. बहुत सुन्दर कल्पना /अभिव्यक्ति
    नई पोस्ट हम-तुम अकेले

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    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया. आपकी पोस्ट ज़रूर देखूंगी.

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  2. nice creation deepest feelings

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    Replies
    1. Thanks a ton for the encouraging words Madhu..

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  3. Replies
    1. सम्मानित डॉ.संध्या तिवारी जी

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  4. बहुत प्रभावी...

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  5. भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने....

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    Replies
    1. प्रोत्साहन के लिए आभार सुषमा जी ...

      Delete
  6. बहुत सुन्दर भाव...

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  7. ji zaroor dekhungi.. shukraguzar hoon

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