Ik chaand-raat yoon ki
chaand hai par nahi bhi.
Ik chaand-raat yoon ki
badal mujhse hi poochhe paheli....
Ik chaand-raat ki khatir
bheega dil doobkar yadon mein.
Ik chaand-raat yoon ki
chandni ghul gayi syahi mein......
Ik chaand-raat ki khatir
main mahua se madak.
Ik chaand-raat yun ki
tumhe likhti rahi sahar tak.....
इक चाँद-रात यूँ कि
चाँद है पर नहीं भी।
इक चाँद-रात यूँ कि
बादल मुझसे ही पूछे पहेली......
इक चाँद-रात की ख़ातिर
भीगा दिल डूबकर यादों में।
इक चाँद-रात यूँ कि
चाँदनी घुल गयी स्याही में.....
इक चाँद-रात की ख़ातिर
मैं महुआ से मादक।
इक चाँद-रात यूँ कि
तुम्हें लिखती रही सहर तक.....
बहुत बढ़िया जी ..
ReplyDeleteतहे दिल से शुक्रिया उपासना जी :)
Deleteबहुत बहुत शुक्रिया यशोदा जी। सम्मानित :)
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब रचना है
ReplyDeleteआज एक उम्दा ब्लॉग की तलाश खत्म हुई
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है रंगरूट
बहुत बहुत आभार आपका।
DeleteBahut payari rachna..badhai
ReplyDeleteदिल से शुक्रिया रश्मि जी। :)
DeleteBeautiful lines
ReplyDeleteThank you
Deleteवाह ! बहुत ही सुन्दर !
ReplyDeleteधन्यवाद साधना जी
DeleteBahut Khoob .....
ReplyDeleteswayheart.blogspot.in
धन्यवाद राजश्री
Deleteसुंदर रचना.
ReplyDeleteVery sweet lines. :)
ReplyDeleteBeautifully penned ...:-)
ReplyDeleteवाह ! बहुत ही सुन्दर !
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