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Thursday, September 11, 2014

CHAAND - RAAT…. / चाँद - रात.…



Ik chaand-raat yoon ki
chaand hai par nahi bhi.
Ik chaand-raat yoon ki
badal mujhse hi poochhe paheli....

Ik chaand-raat ki khatir
bheega dil doobkar yadon mein.
Ik chaand-raat yoon ki
chandni ghul gayi syahi mein......

Ik chaand-raat ki khatir
main mahua se madak.
Ik chaand-raat yun ki
tumhe likhti rahi sahar tak.....

इक चाँद-रात यूँ कि
चाँद है पर नहीं भी।
इक चाँद-रात यूँ कि
बादल मुझसे ही पूछे पहेली......

इक चाँद-रात की ख़ातिर
भीगा दिल डूबकर यादों में।
इक चाँद-रात यूँ कि
चाँदनी घुल गयी स्याही में.....

इक चाँद-रात की ख़ातिर
मैं महुआ से मादक।
इक चाँद-रात यूँ कि
तुम्हें लिखती रही सहर तक.....

17 comments:

  1. बहुत बढ़िया जी ..

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    Replies
    1. तहे दिल से शुक्रिया उपासना जी :)

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  2. बहुत बहुत शुक्रिया यशोदा जी। सम्मानित :)

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  3. बहुत ही लाजवाब रचना है
    आज एक उम्दा ब्लॉग की तलाश खत्म हुई



    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है रंगरूट

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    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका।

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  4. Replies
    1. दिल से शुक्रिया रश्मि जी। :)

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  5. वाह ! बहुत ही सुन्दर !

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    Replies
    1. धन्यवाद साधना जी

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  6. Bahut Khoob .....

    swayheart.blogspot.in

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  7. वाह ! बहुत ही सुन्दर !

    ReplyDelete

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