Shabd....
Bikhre huye yahan wahan
kahin kisi kagaz pe,
kisi kitaab ke akhiri panne par,
daraj ke kisi kone mein.
Dubke huye, sahme huye,
kabhi yun hi kisi soch mein,
ek adh chai coffee mein bhi
chini ki tarah ghule huye...
Shabd....
Lamhon ke saath mit tey huye,
kabhi rasoi mein, kabhi balish pe,
kabhi kisi adhi kavita ka hissa,
kabhi kisi kahani ke adhurepan mein.
Shabd...
Ek toofan ko likhne ka zariya
bawandar hai, samandar hai.
Shabd hain toh tilasma hai,
shabd hain toh hum hain....
शब्द..
बिखरे हुए यहाँ वहाँ,
कहीं किसी कागज़ पे,
किसी किताब के आखिरी पन्ने पर,
दराज के किसी कोने में।
दुबके हुए, सहमे हुए,
कभी यूँ ही किसी सोच में,
एक आध चाय कॉफ़ी में भी
चीनी की तरह घुले हुए...
शब्द....
लम्हों के साथ मिटते हुए,
कभी रसोई में, कभी बालिश पे,
कभी किसी आधी कविता का हिस्सा,
कभी किसी कहानी के अधूरेपन में।
शब्द....
इक तूफ़ान को लिखने का ज़रिया,
बवंडर है, समन्दर है।
शब्द हैं तो तिलस्म है,
शब्द हैं तो हम हैं.......
( Daraj= drawer, Bawandar= tornado, whirlwind, Balish= pillow, Tilasma= magic... )
शब्द है तो तिलस्म है, शब्द है तो हम है ......क्योंकि हर शब्द एक पुल है ...चाहे वो कितने भी विरोध मीं कहा या लिखा गया हो ..वो जोड़ता है ... खामोशी , संवाद और शब्द का अभाव है जो अलग करते है ...सुंदर शब्द ....
ReplyDeleteइस मूल्यवान टिप्पणी के लिए आभार सुनील जी।
Deleteशब्दों जितनी सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया अनुषा जी।
Deleteएक आध चाय कॉफ़ी में भी
ReplyDeleteचीनी की तरह घुले हुए...
sundar shabd !
बहुत बहुत आभार प्रीति जी।
Deleteशुक्रगुज़ार हूँ।
ReplyDeleteWaah ! Shabd hai to hum hai wakayi bin shabd hai hi kya... Nazar ki baat samjhta koun hai aakhir... Bahut lajawaab !!
ReplyDeleteBehad shukraguzar hoon
DeleteShukriya
DeleteWaah ! Shabd hai to hum hai wakayi bin shabd hai hi kya... Nazar ki baat samjhta koun hai aakhir... Bahut lajawaab !!
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