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Wednesday, August 22, 2012

TRIVENI / त्रिवेणी....................

1. Saje-dhaje raste,bahumanzili imaratein
   desh achanak kitni tarakki kar raha hai

  (flyover ke niche koi padh raha hai)


2. Ek jadu ki chhadi , wo chocolate ka ghar
   yadein rah gayin hain zahan mein simatkar

  (desh chalane walon ka bachpana abhi tak gaya nahin)


3. Dekh lene do ji bharkar,mahsoos kar lene do
    saans rukne se pahle kahin ye sukoon chhin na jaye

   (insaan ab chaand pe basne ka bandobast kar raha hai)


4  Machine ajkal kitne kaam karne lage hain
    kal shayad shayari bhi karne lagein
 
   (hath-rickshewalaa aaj bhi insaan ko manzil tak pahuncha raha hai )

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1. सजे -धजे रास्ते, बहुमंज़िली इमारतें
   देश अचानक कितनी तरक्की कर रहा  है

  (फ्लाइओवर के नीचे कोई पढ़ रहा है )


2. एक जादू की छड़ी , वो चॉकलेट का घर
   यादें रह गयीं हैं ज़हन में सिमटकर

  (देश चलाने वालों का बचपना अभी तक गया नहीं )


3. देख लेने दो जी भरकर , महसूस कर लेने दो
    सांस रुकने से पहले कहीं ये सुकून छिन  न जाये

   (इंसान अब चाँद पे बसने का बंदोबस्त कर रहा है )


4  मशीन आजकल कितने काम करने लगे हैं
    कल शायद शायरी भी करने लगें
 
   (हाथ -रिक्शेवाला आज भी इंसान को मंज़िल तक पहुँचा रहा है )

4 comments:

  1. मानवीय भावना और संवेदनाओं से भरी त्रिवेनियाँ ....अभिनन्दन मन की कोमलता की इस सच्ची पूंजी को सहजने पर

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  2. दिनांक 23/12/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    ReplyDelete
    Replies
    1. श्री यशवंत माथुर जी

      मेरे इस पोस्ट को सराहने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि आपने इसे अपने ब्लॉग में प्रकाशित करने की इच्छा ज़ाहिर की है.एक रचनाकार की यही अभिलाषा होती है की उसकी रचना को अधिक से अधिक लोग पढ़ें.

      धन्यवाद

      Delete
  3. चरों लाजवाब लिखे हैं आपने. इस शानदार कृति के लिए बधाई.

    निहार

    ReplyDelete

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