Jo aib ya dosh hamare andar hai wo jab kisi doosre mein dikhta hai toh hum use bohat hi sahajta se sweekar kar lete hain... aur hum un karanoN ko satya thahrane ki koshish karte hain jo vastav mein galat ya niradhar hain..
जो ऐब या दोष हमारे अन्दर है वो जब किसी दूसरे में दिखता है तो हम उसे बहुत ही सहजता से स्वीकार कर लेते हैं …… और हम उन कारणों को सत्य ठहराने की कोशिश करते हैं जो वास्तव में गलत या निराधार हैं ….
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