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Thursday, February 07, 2013

JEEVAN CHAKRA..... / जीवन चक्र.....


Dayitva diya tha tumne
soumpa tha apna aaj aur kal
in hathon mein
jo parichit nahi the
apni hi asmita se....

Soumpa tha tumne
apna aham aur atmavishwas
aur apne jeevan ka
woh rikt sthan
jise tum chahte the
bhar doon main
samanya atmabal se......

Us riktata ki poorak main
aaj kinchit khalipan se bhari
divanishi isi asha mein ki
tumhare hriday ki drishti
paripoorn karegi mujhe
tumhare manobal ki lau se
apni doordarshita se...........

Kabhi tumhara 'tum'
kabhi mera 'main'
chakra jeevan ka
sambhaal lete hain
shoonya ko mitakar
ek adrishya dor se.........
_________________________________

दायित्व दिया था तुमने
सौंपा था अपना आज और कल
इन हाथों में
जो परिचित नही थे
अपनी ही अस्मिता से....

सौंपा था तुमने
अपना अहं और आत्मविश्वास
और अपने जीवन का
वो रिक्त स्थान
जिसे तुम चाहते थे
भर दूँ मैं
सामान्य आत्मबल से......

उस रिक्तता की पूरक मैं
आज किंचित ख़ालीपन से भरी
दिवानिशि  इसी आशा में की
तुम्हारे ह्रदय की दृष्टि
परिपूर्ण करेगी मुझे
तुम्हारे मनोबल की लौ से
अपनी दूरदर्शिता से...........

कभी तुम्हारा 'तुम'
कभी मेरा 'मैं'
चक्र जीवन का
संभाल लेते हैं
शून्य को मिटाकर
एक अदृश्य डोर से........

2 comments:

  1. बहूत सुन्दर कविता अपर्णा जी.(दिवनिशी का अर्थ??)

    ReplyDelete
  2. बहुत बहुत धन्यवाद नयना जी ..
    दिवानिशि का अर्थ है'दिन-रात'.....:)

    ReplyDelete

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