Kabhi kam padh jata hai
Kabhi rahta hi nahin hai
Kabhi dikhta nahin hai
Kabhi bah jata hai
Kabhi dariya, kabhi saahil hai
Kabhi bhavishya, kabhi beet gaya
Kabhi aaj, kabhi pal bhar ka
Kabhi apna, kabhi paraya
Kabhi vaastav, kabhi maya
Kabhi mook, kabhi nagma
Samay....aur kaun !!
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कभी कम पड़ जाता है
कभी रहता ही नहीं है
कभी दिखता नहीं है
कभी बह जाता है
कभी दरिया,कभी साहिल है
कभी भविष्य, कभी बीत गया
कभी आज, कभी पल भर का
कभी अपना, कभी पराया
कभी वास्तव, कभी माया
कभी मूक, कभी नग्मा
समय.... और कौन !!
ReplyDeleteदिनांक 10/02/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
bahut sunder ...
ReplyDeleteसच्ची परिभाषा समय की. सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteभावो को शब्दों में उतार दिया आपने.................
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