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Wednesday, February 13, 2013

RAAZ KI BAAT HAI ..... / राज़ की बात है .....

Khwabon mein lafzon ki toli gunguna rahi hai
kuchh achcha hi hoga, aise tarane suna rahi hai

Akelapan kya bala hai ham nahin jante,
har saans aaj meethe dhun gunguna rahi hai

Sahar ne neend se jagaya roshni se sahlakar
mahtaab bachpan wali lori suna rahi hai

Chuppi aaj phir beech mein tokne lagi hai
khamoshi aaj phir sur mein gunguna rahi hai

Raaz ki baat hai kisi se na kahna
hawa koi khaas kissa suna rahi hai
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ख़्वाबों में लफ़्ज़ों की टोली गुनगुना रही है
कुछ अच्छा ही होगा, ऐसे तराने सुना रही है

अकेलापन क्या बला है हम नहीं जानते
हर सांस आज मीठे धुन गुनगुना रही है

सहर ने नींद से जगाया रौशनी से सहलाकर
माहताब बचपन वाली लोरी सुना रही है

चुप्पी आज फिर बीच में टोकने लगी है
ख़ामोशी आज फिर सुर में गुनगुना रही है

राज़ की बात है ,किसी से न कहना
हवा कोई ख़ास किस्सा सुना रही है


Friday, February 08, 2013

SAMAY......... / समय.........

Kabhi kam padh jata hai
Kabhi rahta hi nahin hai
Kabhi dikhta nahin hai
Kabhi bah jata hai
Kabhi dariya, kabhi saahil hai

Kabhi bhavishya, kabhi beet gaya
Kabhi aaj, kabhi pal bhar ka
Kabhi apna, kabhi paraya
Kabhi vaastav, kabhi maya
Kabhi mook, kabhi nagma

Samay....aur kaun !!
________________________

कभी कम पड़ जाता है
कभी रहता ही नहीं है
कभी दिखता नहीं है
कभी बह जाता है
कभी दरिया,कभी साहिल है

कभी भविष्य, कभी बीत गया
कभी आज, कभी पल भर का
कभी अपना, कभी पराया
कभी वास्तव, कभी माया
कभी मूक, कभी नग्मा

समय.... और कौन !!

Thursday, February 07, 2013

JEEVAN CHAKRA..... / जीवन चक्र.....


Dayitva diya tha tumne
soumpa tha apna aaj aur kal
in hathon mein
jo parichit nahi the
apni hi asmita se....

Soumpa tha tumne
apna aham aur atmavishwas
aur apne jeevan ka
woh rikt sthan
jise tum chahte the
bhar doon main
samanya atmabal se......

Us riktata ki poorak main
aaj kinchit khalipan se bhari
divanishi isi asha mein ki
tumhare hriday ki drishti
paripoorn karegi mujhe
tumhare manobal ki lau se
apni doordarshita se...........

Kabhi tumhara 'tum'
kabhi mera 'main'
chakra jeevan ka
sambhaal lete hain
shoonya ko mitakar
ek adrishya dor se.........
_________________________________

दायित्व दिया था तुमने
सौंपा था अपना आज और कल
इन हाथों में
जो परिचित नही थे
अपनी ही अस्मिता से....

सौंपा था तुमने
अपना अहं और आत्मविश्वास
और अपने जीवन का
वो रिक्त स्थान
जिसे तुम चाहते थे
भर दूँ मैं
सामान्य आत्मबल से......

उस रिक्तता की पूरक मैं
आज किंचित ख़ालीपन से भरी
दिवानिशि  इसी आशा में की
तुम्हारे ह्रदय की दृष्टि
परिपूर्ण करेगी मुझे
तुम्हारे मनोबल की लौ से
अपनी दूरदर्शिता से...........

कभी तुम्हारा 'तुम'
कभी मेरा 'मैं'
चक्र जीवन का
संभाल लेते हैं
शून्य को मिटाकर
एक अदृश्य डोर से........

Monday, February 04, 2013

RACE..../ रेस.....

Ret ki tarah phisal kar
anayas hi hathon se nikal jate ho,
ik chhoti si muththi mein
bandhna mushkil hai jante ho......

Zid karein bhi to kaise !
Tumhari fitrat bhi to
usi ne banayi hai,
jo yah apeksha karta hai
ham daud mein shamil ho jayen,
daudte rahein....................

Zindagi bhi kya tez bhaag rahi hai,
shamil ho gayi hai race mein.
Chalo ,bhago dono,samay aur zindagi,
tum age nikal jaoge shayad.
Hamne to samet ke rakh liya hai
un yadon ko,jo tum le jana bhool gaye.
Kaise lete bhalaa, ham bhi ziddi hain,
tum tez ho, to mazboot ham bhi hain......
___________________________________

रेत की तरह फिसल कर
अनायास ही हाथों से निकल जाते हो,
इक छोटी सी मुट्ठी  में
बांधना मुश्किल है जानते हो......

ज़िद करें भी तो कैसे !
तुम्हारी फ़ितरत भी तो
उसी ने बनाई है,
जो यह अपेक्षा करता है
हम दौड़ में शामिल हो जाएँ,
दौड़ते रहें....................

ज़िंदगी भी क्या तेज़ भाग रही है,
शामिल हो गयी है रेस में.
चलो ,भागो दोनों, समय और ज़िंदगी,
तुम आगे निकल जाओगे शायद.
हमने तो समेट के रख लिया है
उन यादों को,जो तुम ले जाना भूल गये.
कैसे लेते भला, हम भी ज़िद्दी हैं,
तुम तेज़ हो, तो मज़बूत हम भी हैं......


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