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Wednesday, July 30, 2014

ROTI, KAPDA AUR MAKAAN.... / रोटी, कपड़ा और मकान....


रोज़ ब्लॉग खोलती हूँ फ़िर बहुत कुछ लिखती हूँ, और बहुत बार मिटा देती हूँ। सुबह का अखबार देखती हूँ या खबरें सुनती हूँ तो यही महसूस होता है की आज इतना ही काफ़ी है कि मैं और मेरे परिवार के सभी लोग जिंदा हैं। हालात ऐसे हैं की अब साड़ी, गहने, विदेश भ्रमण ... सब बेकार के शौक़ लगते हैं। दहशत और अनिश्चयता के ऐसे दिल दहलाने वाले वातावरण में साँसों का चलना ही काफ़ी लगता है।
कल लोगों ने खूब आनन्द और हर्षोल्लास सहित ईद का त्यौहार मनाया। पर दुनिया के किसी कोने में कई परिवारों ने इस वर्ष ईद अपने प्रियजनों के कब्रों के पास बैठकर मनाई।
जी, मैं गाज़ा के बारे में ही बोल रही हूँ। और जेहन में उन लीगों की बातें भीं घूम रही हैं जो अपने प्राण अकाल मृत्यु के हातों बली चढ़ाने के लिए मजबूर हो गए। एक सप्ताह में तीन-तीन विमान दुर्घटनायें, इनमें से एक किसी आतंकी हमले का शिकार। इतनी सस्ती है ज़िन्दगी? कोई मोल नहीं जीवन का? और हाँ एक विमान जो अभी तक किसी को मालूम नहीं कहाँ गायब हो गया!!
Some say war is bad for economy... but the western concept is exactly the opposite. They say war is good for economy. And humanity? The children? Is it okay to kill children in the name of war? The innocent lives lost in these plane crashes were not meant to perish like this. They had hopes and dreams..what about them?? But as my husband always tells me " don't waste your energy and also don't lose your patience by pondering over something which is beyond your control "... True, but not easy.
All that remains after a war and merciless killings is innumerable orphans, childless parents, rubble and debris in place of a beautiful house. Endless days of mourning and bitterness..and thousands of burnt and charred dreams..
To err is human and to kill? Is war the only solution?
Closer home in every state we have such barbaric activities taking place almost every hour that a powerless citizen like me feels helpless. Writing about these on Facebook or posting on blog is not enough but how else do we express our concern.
कहीं भी, किसी लड़की या औरत की आबरू लुटती है तो ऐसा महसूस होता है जैसे मेरा ही अपमान हुआ हो। कितना हिंस्र हो गया है इंसान, कितने निर्मम तरीके से खून और बलात्कार करता है। 100 में से 99 महिलायें चाहती हैं की इन पिशाचों को सरकार मृत्यु दंड दे पर नहीं, सरकार तो पहले इन पर मुकद्दमा चलाकर वर्षों तक देश के नागरिकों का पैसा बर्बाद करेगी फ़िर सोचेगी।
Honestly, nowadays the well being of my family and friends is the utmost thing in my life. Life is short we know but terrorist attacks, wars and hooliganism has made it unpredictable beyond our apprehension.
रोटी, कपडा और मकान- इतना है तो बहुत है... ज़िन्दगी की बाकी खामियों को सुधारने के लिए अपनों का प्यार है न !!


Links-http://quemas.mamaslatinas.com/in_the_news/127852/malaysia_airlines_little_boy_had

http://m.indiatoday.in/story/gaza-eid-celebrations-death-toll-israel/1/374647.html










Picture Courtesy- Google

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