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Wednesday, June 25, 2014

JAB SUNNA CHAHA …/ जब सुनना चाहा……




Jab sunna chaha 
us shakh pe pyase patte 
kya gunguna rahe hain
hamne sun liya

Jab sunna chaha 
dur kisi registaan ke 
befikra ret ki dastaan 
hamne sun liya

Jab sunna chaha 
tumhare bheetar dhadakta
gungunata hua dil
hamne sun liya

Jab sunna chaha 
hamne apne hi dil ko
tumhara naam pukarte hue
hamne sun liya...






जब सुनना चाहा
उस शाख पे प्यासे  पत्ते
क्या गुनगुना रहे हैं
हमने सुन लिया

जब सुनना चाहा
दूर किसी रेगिस्तान के
बेफ़िक्र रेत की दास्तान
हमने सुन लिया

जब सुनना चाहा 
तुम्हारे भीतर धड़कता 
गुनगुनाता हुआ दिल 
हमने सुन लिया 

जब सुनना चाहा 
हमने अपने ही दिल को 
तुम्हारा नाम पुकारते हुए 
हमने सुन लिया ..


pic courtesy - www.bbc.co.uk

5 comments:

  1. बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति..

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  2. शुक्रगुज़ार हूँ कैलाश जी

    ReplyDelete
  3. Replies
    1. बहुत बहुत आभार सुशील जी...

      Delete
    2. बहुत बहुत आभार सुशील जी...

      Delete

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