Jab sunna chaha
us shakh pe pyase patte
kya gunguna rahe hain
hamne sun liya
Jab sunna chaha
dur kisi registaan ke
befikra ret ki dastaan
hamne sun liya
Jab sunna chaha
tumhare bheetar dhadakta
gungunata hua dil
hamne sun liya
Jab sunna chaha
hamne apne hi dil ko
tumhara naam pukarte hue
hamne sun liya...
जब सुनना चाहा
उस शाख पे प्यासे पत्ते
क्या गुनगुना रहे हैं
जब सुनना चाहा
दूर किसी रेगिस्तान के
बेफ़िक्र रेत की दास्तान
हमने सुन लिया
जब सुनना चाहा
तुम्हारे भीतर धड़कता
गुनगुनाता हुआ दिल
हमने सुन लिया
जब सुनना चाहा
हमने अपने ही दिल को
तुम्हारा नाम पुकारते हुए
हमने सुन लिया ..
pic courtesy -
बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteशुक्रगुज़ार हूँ कैलाश जी
ReplyDeleteबहुत सुंदर ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सुशील जी...
Deleteबहुत बहुत आभार सुशील जी...
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