Anginat baar todna chaha
toot bhi gaye
jarjar ho gaye
phir se lau jali
maddham
hua hamara naya janm
usne phir toda
hum phir toote
is baar bhi dhans gaye
uske karz tale
phir lahlaha uthe
Ye toda bhi usne
joda bhi usne
gira ke phir uthaya bhi usi ne hai
yahi toh zindagi ki fitrat hai.......
अनगिनत बार तोड़ना चाहा
टूट भी गये
जर्जर हो गये
फिर से लौ जली
मद्धम
हुआ हमारा नया जन्म
उसने फिर तोड़ा
हम फिर टूटे
इस बार भी धँस गये
उसके क़र्ज़ तले
फिर लहलहा उठे
ये तोड़ा भी उसने
जोड़ा भी उसने
गिरा के फिर उठाया भी उसी ने है
यही तो ज़िंदगी की फ़ितरत है.......
जी यही फितरत है बहुत खूब :)
ReplyDeleteप्रतिक्रिया के लिए शुक्रगुज़ार हूँ
Deleteयही तो ज़िंदगी की फ़ितरत है....
ReplyDeleteप्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया
Deleteये तोड़ा भी उसने
ReplyDeleteजोड़ा भी उसने
गिरा के फिर उठाया भी उसी ने है
वही करता है सब तोड़ जोड़ ...बहुत सुन्दर
नई पोस्ट सर्दी का मौसम!
नई पोस्ट लघु कथा
ब्लॉग पे आने का बहुत बहुत शुक्रिया
Deleteये तोड़ा भी उसने
ReplyDeleteजोड़ा भी उसने
गिरा के फिर उठाया भी उसी ने है
यही तो ज़िंदगी की फ़ितरत है.......
....सच में यही ज़िंदगी है...बहुत सुन्दर रचना...
बहुत बहुत आभार कैलाश जी
Deletesundar bhaavavyakti
ReplyDeleteहौसला अफज़ाई का शुक्रिया
Deleteसुन्दर रचना, जिंदगी की जद्दोजहद को दर्शाती कविता.
ReplyDeleteप्रशंसा के लिए आभार
Deleteज़िन्दगी साथ निभाती रहे...!
ReplyDeleteजी अनुपमा जी… आख़िरी सांस तक। ब्लॉग join करने के लिए आभारी हूँ
Deletewow beautiful !
ReplyDeletethanks a lot dear
Deletebhut khub,saar grbhita bhaav,
ReplyDeleteVinnie
हौसला अफज़ाई के लिए शुक्रिया विन्नी जी
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteप्रशंसा के लिए आभार
DeleteWow... so good
ReplyDeletehey Parul..thanks for the appreciation …
Deleteसच ऐसी ही है ज़िंदगी.
ReplyDeletethank you for dropping by and joining this microsite Jenny ji
Deleteसच, ऐसी ही होती है ज़िंदगी.
ReplyDeleteहै न !! शुक्रिया ब्लॉग पे आने का।
Deleteआपकी इस अभिव्यक्ति की चर्चा कल रविवार (13-04-2014) को ''जागरूक हैं, फिर इतना ज़ुल्म क्यों ?'' (चर्चा मंच-1581) पर भी होगी!
ReplyDelete--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर…
बहुत बहुत आभार अभिषेक जी.
ReplyDeleteवाह क्या बात है
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार अना जी
Deleteबड़ी सादगी और समर्पण के साथ नियति को स्वीकारा है ! बहुत सुंदर रचना !
ReplyDeleteइस सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए दिल से शुक्रिया साधना जी
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