Yun hi ek jhonka guzar jata hai
tum yaad aate ho
yun hi almari se kuch girta hai
tum yaad aate ho
yadein chhupi hai jabin ki shiknon mein
yadein chhupi hain chehre ki silwaton mein
kuch aate hue palon mein
kuch jate hue palon mein
tum yaad aate ho
kabhi baraste hue mausam mein
kabhi pareshan karti umas mein
jab hoti hai sarsarahat patton ki
ya hote ho, bas inch bhar door hi
tum yaad aate ho...............
............... यूँ ही एक झोंका गुज़र जाता है
तुम याद आते हो
यूँ ही अलमारी से कुछ गिरता है
तुम याद आते हो
यादें छुपी हैं जबीं की शिकनों में
कभी बरसते हुए मौसम में
यादें छुपी हैं चेहरे की सिलवटों में
कुछ आते हुए पलों में
कुछ जाते हुए पलों में
तुम याद आते हो
कभी परेशान करती उमस में
जब होती है सरसराहट पत्तों की
या होते हो, बस इंच भर दूर ही
तुम याद आते हो.
PIC COURTESY- ANWESHAN BOSE
बहुत अच्छा है अपर्णा ।
ReplyDeleteशुक्रगुज़ार हूँ सुशील जी
Deleteबहुत सुन्दर और भावुक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteजन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाऐं ----
सादर --
कृष्ण ने कल मुझसे सपने में बात की -------
दिल से आभार ज्योति जी।
Deleteयादों का सफर अंतहीन हैं ...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया कविता जी।
Deleteयादें तो रुक रुक कर आती है ! बढ़िया रचना !
ReplyDeleteगुस्सा
गणपति वन्दना (चोका )
कालीपद जी बहुत बहुत आभार
DeleteNice ! Keep writing
ReplyDeleteappreciate the encouragement Ananya.. ☺thanks
Deleteयादों का सफर अंतहीन हैं ...
ReplyDeleteजी.. संजय जी। रचना को पढ़ने के लिए आभारी हूँ
Deleteजी.. संजय जी। रचना को पढ़ने के लिए आभारी हूँ
Deleteअत्यंत कोमल एवं अनछुई सी रचना !
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