Kuhase ka seena cheerkar nikalna chahta hai sooraj, batana chahta hai wo zinda hai. Kuhase ke is paar main, janti hoon wo zinda hai magar chahti hoon kuhasa use aaj poori tarah zinda na hone de.
Kuhase se chhan kar ane wali dhoop, dhoop to hai magar jalane waali nahin, balki narm, mulayam, pashmine jaisi hai. waqt yahin thahar jaye toh? Thahar nahin sakta, par uske thaharne ka bhram ho jaye toh isme harz kya !!
कुहासे का सीना चीरकर निकलना चाहता है सूरज, बताना चाहता है वो जिंदा है। कुहासे के इस पार मैं, जानती हूँ वो जिंदा है मगर चाहती हूँ कुहासा उसे आज पूरी तरह जिंदा न होने दे. कुहासे से छनकर आने वाली धूप,
धूप तो है मगर जलाने वाली नहीं, बल्कि नर्म, मुलायम, पश्मीने जैसी है. वक़्त यहीं ठहर जाये तो? ठहर नहीं सकता, पर उसके ठहरने का भ्रम हो जाये तो इसमें हर्ज़ क्या !!
PHOTO COURTESY- SHIBAJI BOSE
बहुत अच्छा है :)
ReplyDeleteशुक्रिया सुशील जी
DeleteAparna Ji,sundar kavita hai,Aapki kavita narm sondhi si,sahla gayi man ko!
ReplyDeleteहौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Deleteभ्रम में ही इन्सान जिए चले जाता है, सत्य से सामना करना उसे नहीं आता...पर सत्य भ्रम से अनंत गुणा श्रेष्ठ है
ReplyDeleteजी , सहमत हूँ आपसे
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