कितनी बार काटेंगे,और जोड़ेंगे?
वहशियत के निशान कितनी बार मिटाएँगे?
जिस्म है, हो सकता है कल ठीक हो जाए
पर रूह का क्या ,उसे कैसे जोड़ेंगे?
कुछ चीज़ें समेट के रखीं थीं
कौन लाएगा उसकी वह रंगीन टोकरी?
जिसमे छोटी बड़ी मोतियों की माला थी
आशाओं के आशियाने की चाबी
एक सुनहरे रंग की डिबिया में बंद थी
ढूँढती होगी चौराहे पे अपना सारा सामान
देखो आज भी शायद रूह चीख रही होगी
किसने चुराया ,क्यों चुराया
प्रश्नों के उत्तर ढूँढती होगी
देह की हालत से अंजान रूह
उससे मिलने के लिए तड़प रही होगी
बिस्तर पे पड़ा निर्जीव सा,
खोखला और जर्जर बदन
हज़ारों उम्मीदें नम आंखों में,
साँसों को हिम्मत देता उसका अहँकार
आज भी कह गया उसके कानों में
“इंसान दरिन्दा बन गया तो क्या
विश्वास रखो सर उठाके जीने में”
Kitni baar
katenge,aur jodenge?
Wahshiyat ke
nishaan kitni baar mitayenge?
Jism hai,
ho sakta hai kal theek ho jaye
Par rooh ka
kya ,use kaise jodenge?
Kuchh
cheezein samet ke rakhi theeN
Kaun layega
uski wah rangeen tokri?
Jisme sapno ko sanjo ke rakha tha
Jisme chhoti
badi motiyon ki mala thi
AshaaoN ke
ashiyane ki chaabi
Ek sunhare
rang ki dibiya mein band thi
Dhoondhti hogi
chaurahe pe apna sara samaan
Dekho aaj bhi
shayad rooh cheekh rahi hogi
Kisne churaya
,kyon churaya
PrashnoN ke
uttar dhoondhti hogi
Deh ki
haalat se anjaan rooh
Usse milne
ke liye tadap rahi hogi
Bistar pe
pada nirjeev sa,
khokhla aur jarjar badan
Hazaron ummidein nam aankhoN mein,
Saanson ko
himmat deta uska ahankaar
Aaj bhi kah
gaya uske
kaanoN mein
“Insaan darinda
ban gaya toh
kya
Vishwas rakho sar uthake jeene mein”
(निर्भया का निर्जीव शरीर जब मृत्यु के सम्मुखीन खड़ा जीवनदान मांग रहा था तब मन इतना विचलित हो उठा था की इन पंक्तियों में उस पीड़ा को मैंने उकेर डाला। निर्भया या ज्योति या और कोई स्त्री / बिटिया , जिसके साथ भी ऐसा हुआ है , उसके गुनहगार को फांसी के अलावा और कोई सज़ा नहीं मिलनी चाहिए। )
अद्भुत ...सकारात्मक और आशावादी रचना
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
बिस्तर पे पड़ा निर्जीव सा, खोखला बदन
ReplyDeleteउम्मीद तैर रही है आँखों में
साँसों को हिम्मत देता उसका अहँकार
आज भी कह गया उसके कानों में
“इंसान दरिन्दा बन गया तो क्या
विश्वास रखो सर उठाके जीने में”
बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति
इस कविता की प्रशंसा करके आप सभी ने मुझे जो प्रोत्साहन दिया है मैं उसके लिए आभारी हूँ
ReplyDeleteआशाओं के आशियाने की चाबी
ReplyDeleteएक सुनहरे रंग की डिबिया में बंद थी-----
जीवन के आशावादी अंश को दर्शाती रचना
गहन अनुभूति
बधाई
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
बहुत बहुत आभार आपका ज्योति जी ...आपका ब्लॉग ज़रूर visit करूँगी ...
ReplyDelete"Patto ka hai jism janam bhig jaane do..." , Lovely thoughts Aparna. Hugs!!
ReplyDeletei love this song...thank you for reading my posts and posting such lovely comments.they make my day and motivate me.. much love and hugs.stay blessed
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