Kuchh ankahe shabd,
kuchh adhuri batein,
kuchh mere,kuchh tumhare
shayad phir vileen ho gaye hain
vyom mein, ya shayad
harfon ka ashiyana bana rahe hain
vyom mein,ya shayad
ird-gird maujood hain.........
Hawa aur roshni ki tarah,
kale ambar mein chhupe
taron ki tarah......................
Intezaar hai unhe us pal ka,
jab avashyakta hogi unki
rikt sthaan ki poornata ke liye........
कुछ अनकहे शब्द ,
कुछ अधूरी बातें ,
कुछ मेरे, कुछ तुम्हारे,
शायद फिर विलीन हो गए हैं,
व्योम में, या शायद
हर्फ़ों का आशियाना बना रहे हैं
व्योम में,या शायद
इर्द-गिर्द मौजूद हैं .................
हवा और रौशनी की तरह ,
काले अम्बर में छुपे
तारों की तरह .......................
इंतज़ार है उन्हें उस पल का,
जब आवश्यकता होगी उनकी
रिक्त स्थान की पूर्णता के लिए
( image courtesy- google )
सच में ..शब्द उतर आएँगे तब..
ReplyDeleteबहुत सुंदर ......गूंजते ही तो रहते हैं ब्रम्हांड में शब्द जो प्रतिध्वनित
ReplyDeleteहोते रहते हैं.....
आपके ब्लॉग पर आना सार्थक रहा....
धन्यवाद...
:) अल्पना जी बहुत बहुत धन्यवाद ....
ReplyDeleteकविता तथा ब्लॉग की सराहना के लिए बहुत बहुत शुक्रिया अदिति जी :) ...
ReplyDeleteप्यार भरे शब्द हों तो यही रहते हैं ...
ReplyDeleteकभी विलीन नहीं होते ... उनकी ध्वनि कानों के इर्द-गिर्द रहती है ...
जो तुमने कहा...और मैंने कहा...कहीं गया नहीं..
ReplyDeleteगुनगुना रहा है मेरे कान में...और तुम्हारे भी...ध्यान से सुनो तो ज़रा..
:-)
अनु
जी ...बिलकुल सही ..धन्यवाद दिगंबर जी
ReplyDeleteशब्दों का मधुर स्वर !! :)
ReplyDeleteशुक्रिया अनु
बहुत खूबसूरत अहसास
ReplyDeleteइंतज़ार है उन्हें उस पल का,
ReplyDeleteजब आवश्यकता होगी उनकी
रिक्त स्थान की पूर्णता के लिए
बहुत बहुत सुंदर !!
आपने तारीफ़ कर दी ये बहुत बड़ी बात है मेरे लिए मामी ...आभार
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