Wednesday, April 17, 2013

YADON KE RANG.... / यादों के रंग ...........


Maine apne shabdon ko pankh de diye to pahle se hi betaab,ab aise udne lage manoN titli hoN,ya phir koi panchhi….nahin titli. …Chanchal man aur mastishk ki parikalpana ko motiyon ki tarah dhage mein pirona asaan hai kya? Oopar se shabdoN ka yeh awarapan,kabhi indradhanush ke rang chheen late hain to kabhi sooraj ki tapish.aaj to inhone sari seemaon ko tod diya.le aye hain purani yadon ke rang,sahej kar , apne sundar paroN mein……..tewar toh inke aise hain manoN mujh par ehsaan kar rahe hoN.
Kuchh yadon ko maine kagaz par sajakar, uski kashti banakar,baha diya hai nadiya mein…….kashti tum tak pahunch gayi toh kuch pal tum bhi jod dena ....aur kahin majhdhaar kho gayi toh yahi samajh loongi ki awara shabdon ki awara yadein, kashti unka bojh nahin dho payi….


PIC COURTESY GOOGLE

मैंने अपने शब्दों को पंख दे दिए तो पहले से ही बेताब , अब ऐसे उड़ने लगे मानों तितली हों , या फिर कोई पंछी ....नहीं तितली ........चंचल मन और मस्तिष्क की परिकल्पना को मोतियों की तरह धागे में पिरोना आसान है क्या ? ऊपर से शब्दों का यह आवारापन , कभी इन्द्रधनुष के रंग छीन लाते हैं तो कभी सूरज की तपिश . आज तो इन्होंने सारी  सीमाओं को तोड़ दिया। ले आयें हैं पुरानी यादों के रंग ,सहेज कर , अपने सुन्दर परों में .......तेवर तो इनके ऐसे मानों मुझ पर एहसान कर रहे हों .
कुछ यादों को मैंने कागज़ पर सजाकर , उसकी कश्ती बनाकर, बहा दिया है नदिया में .......कश्ती तुम तक पहुँच गयी तो कुछ पल तुम भी जोड़ देना ........और कहीं मझधार खो गयी तो यही समझ लूंगी की आवारा शब्दों की आवारा यादें , कश्ती उनका बोझ नहीं ढो  पाई  ..............

4 comments:

  1. बहुत बहुत धन्यवाद यशवंत जी ....

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  2. अच्‍छे शब्‍द संयोजन के साथ सशक्‍त अभिव्‍यक्ति।

    संजय भास्कर
    आदत....मुस्कुराने की
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  3. आभार संजय जी .....

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