Sooraj ki tapish sahti hui lahrein
Raat ka intzar karti hui lahrein
Chandni ko chhune ki koshish mein lahrein
Pyaas mitane ki koshish mein lahrein
Phir bhi tarangit harshit lahrein
Kinaron se takrakar bikharti hui lahrein
Kharepan ko apnakar muskati hui lahrein
Kuchh kuchh mujh jaisi
Doobti- tirti lahrein ….
सूरज की तपिश सहती हुई लहरें
रात का इंतज़ार करती हुई लहरें
चांदनी को छूने की कोशिश में लहरें
प्यास मिटाने की कोशिश में लहरें
फिर भी तरंगित, हर्षित लहरें
किनारों से टकराकर बिखरती हुई लहरें
खारेपन को अपनाकर मुस्काती हुई लहरें
कुछ कुछ मुझ जैसी
डूबती-तिरती लहरें ….
wallpapers.net
वाह दिल के भावों को उकेरती हुई लहरें।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार निशा जी …
Deleteकुछ कुछ मुझ जैसी डूबती उतरती लहरें . सुन्दर .. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (26.08.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें .
ReplyDeleteसहर्ष आभार नीरज जी।
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