thapede maarti hui aayiN
saahil ke saath guftgu karne lagiN
bhawnaon ka umadhna
yadoN ka silsila
jari raha, musalsal
Kinara toh mera tha
par ret ke teele tumhare
main banati gayi
tum mitate gaye
ise khel samjhooN ya tadpana
todna aur jodna
jari raha, musalsal
Dekho koi hai jiska hath
tham rakha hai hamne
usne na ret ko chhua hai
na kuch khoya hai
ek gawah aasman, dooje tum
lakeeroN ka milna
jari raha, musalsal
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Musalsal- continuous, constant, something that does not change
pic-google |
जब चंचल , बेख़ौफ़ लहरें
थपेड़े मारती हुई आयीं
साहिल के साथ
गुफ़्तगू करने लगी
भावनाओं का उमड़ना
यादों का सिलसिला
जारी रहा, मुसल्सल
किनारा तो मेरा था
पर रेत के टीले तुम्हारे
मैं बनाती गयी
तुम मिटाते गए
इसे खेल समझूं या तड़पाना ?
तोड़ना और जोड़ना
जारी रहा, मुसल्सल
देखो कोई है, जिसका हाथ
थाम रखा है हमने
उसने न रेत को छुआ है
न कुछ खोया है
एक गवाह आसमान, दूजे तुम
लकीरों का मिलना
जारी रहा , मुसल्सल
एक गवाह आसमान, दूजे तुम
ReplyDeleteलकीरों का मिलना
जारी रहा , मुसल्सल
behad sunder . namaskar !
bohat bohat shukriya Sunil ji
ReplyDeletesabhaar
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ.
ReplyDeletebohat bohat abhaar Nihar Ranjan ji
Deletesundar abhivyakti ..
ReplyDeleteshukriya Kavita ji
Deleteसुंदर प्रस्तुति ।।।
ReplyDeleteabhaar
Deletebahut hi sundar pankitiya.........kinara to mara tha ret k teely tumhare,main banti gai tum mitaty gaye...........
ReplyDeleteaapko meri ye kavita pasand ayi jankar bohat achcha laga Jyoti ji .dhanyavad
Deleteबहुत बहुत आभार यशोदा जी।
ReplyDeleteकिनारा तो मेरा था
ReplyDeleteपर रेत के टीले तुम्हारे
मैं बनाती गयी
तुम मिटाते गए
इसे खेल समझूं या तड़पाना ?
तोड़ना और जोड़ना
जारी रहा, मुसल्सल
....बहुत बढ़िया मनोभाव
बहुत बहुत शुक्रिया कविता जी। आपको ये पंक्तियाँ अच्छी लगीं जानकर मन प्रसन्न हुआ
Deleteएक गवाह आसमान, दूजे तुम
ReplyDeleteलकीरों का मिलना
जारी रहा , मुसल्सल....बहुत सुंदर
बहुत बहुत आभार रश्मि जी। आप खुद इतना सुन्दर लिखतीं हैं,इन पंक्तियों की खास प्रशंसा ने बहुत उत्साहवर्धन किया है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteAbhaar Ashok ji
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