Monday, June 10, 2013

रिश्ता

रिश्तों की अहम्मियत समझना और उन्हें ईमानदारी से निभाना  आसान नहीं है किसी के लिए भी ...प्यार और विश्वास दोनों बहुत ज़रूरी है ...कभी कभी तो इन दोनों से भी बात नहीं बनती और कारण ढूँढ़ते ढूँढ़ते रिश्ता ही ख़त्म हो जाता है ...और फिर अकेला इंसान हताश बैठा भाग्य को कोसता रहता है. ...ऐसे परिस्थिति को सँभालने के लिए गुरुजनों की विचारक्षमता आवश्यक है बशर्ते वो अपने अहम् को बीच में न लायें और समस्या में उलझे लोग रिश्ते को बचाने के लिए एक नासमझ बच्चे की तरह बड़ों का कहा समझने की कोशिश करें और उस पर अमल करें .........और रही समर्पण की बात ...तो उसके लिए बहुत बड़ा दिल चाहिए ...दिल बड़ा हो और क्षमा करने की मानसिकता हो तो टूटा हुआ रिश्ता खुद -ब- खुद जुड़ जाता है ....
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8 comments:

  1. सार्थक पोस्ट .
    <a href="http://www.facebook.com/HINDIBLOGGERSPAGE”>हम हिंदी चिट्ठाकार हैं</a>

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  2. बहुत सुन्दर.बहुत बढ़िया लिखा है .शुभकामनायें आपको .

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  3. सहमत आपकी बात से ... रिश्तों को सहेजना कठिन है पर जरूरी भी है ... इमानदारी भी जरूरी है विश्वास भी जरूरी है ...

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  4. is post par apne vicharon ko sanjha karne ke liye aap sabhi ka bohat bohat shukriya

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  5. बहुत सुन्दर भावों की प्रस्तुति आभार जो बोया वही काट रहे आडवानी आप भी दें अपना मत सूरज पंचोली दंड के भागी .नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN

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