Wednesday, June 19, 2013

MATRITWA / मातृत्व


PIC-GOOGLE
पिछले महीने जावेद अख्तर जी  ने संसद के एक सत्र के दौरान एक मुद्दा उठाया था मातृत्व के सन्दर्भ में ...उनका एक प्रश्न सचमुच दिल को झकझोर गया ... उन्होंने जो कहा वो कुछ इस प्रकार था ..." कहते हैं माँ के पैरों तले स्वर्ग है ,माँ भगवान का रूप है, तो क्या उस औरत को वो सम्मान या प्यार नहीं मिलना चाहिए जो माँ नहीं बन सकी ? "
निः संदेह विचार करने योग्य .......
विडंबनात्मक बात यह है कि एक ओर  हमारे देश में जहाँ देवियों की पूजा शक्ति या माँ के रूप में की जाती है वहीँ दूसरी ओर कुछ पलों के अंतराल में एक बलात्कार या भ्रूण हत्या का कांड टीवी के परदे पर दिखाई देता है .

जावेद जी ठीक ही तो कहते हैं ...ममता हर स्त्री के भीतर व्याप्त है या यूं कहें वो जन्म लेती है इस गुण के साथ…इसके लिए उसका माँ बनना ज़रूरी नहीं ...सिर्फ ममता ही क्यों, दूसरों के सुख दुःख बांटना ,और परित्याग की भावना ये ऐसे गुण हैं जिनसे उसका स्वाभाव स्वाभाविक या प्राकृतिक रूप से  सुशोभित है ...नहीं तो किसी गोद लिए गए बच्चे पर अपना सर्वस्व न्योछावर करना कैसे संभव होता है एक स्त्री के लिए?
आज अखबार में भी पढ़ा , कुछ ऐसी भी महिलाएं हैं जो निजी कारण  हेतु अविवाहित होते हुए भी मातृत्व का सुख पाने के लिए बच्चा adopt कर रहीं है ...काफी परेशानियों का सामना करना पढता है ऐसे cases में ,पर बिना हार  माने,विचलित हुए बिना अकेले ही बच्चा गोद भी ले रहीं हैं और उनका अच्छे से पालन-पोषण भी कर रहीं है .....
कोई ज़रुरत नहीं है औरत को या 'माँ ' को भगवान् का दर्ज़ा देने की ....इंसान है ,इंसान रहने दो… मान-सम्मान और प्यार ही काफी है ... इस प्रकार ये समाज ,ये संसार निश्चित रूप से  एक मनोरम स्थान बन  जायेगा ........

8 comments:

  1. बहुत सुन्दर एहसास पिरोये शब्दों से | बहुत खूब लिखा | जय हो

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  2. आपकी यह रचना निर्झर टाइम्स (http://nirjhar-times.blogspot.in) पर लिंक की गयी है। कृपया इसे देखें और अपने सुझाव दें।

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  3. is post ko link karne ke liye aapka shukriya..zaroor dekhungi.

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  4. सहमत आपकी बात से ... नारी को इन्सान ही समझ सकें आज तो भी काफी है ...

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  5. बहुत खूब

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