Saturday, May 11, 2013

KABHI HO,KABHI GUM HO......../ कभी हो , कभी गुम हो ........

image courtesy-google
Kachchi pakki dhoop mein
shaant ya garajte badalon mein
bahti hawa ke anukathan mein
raat-ki-raani ki madakta mein
kabhi ho..kabhi gum ho
mere astitva ka hissa ho

Aasman ki aagosh mein
chandni ke mehmaan ho
ek nirbheek amarbel ho
antarman ki abhivyakti ho
kabhi ho...kabhi gum ho
mere astitva ka hissa ho

Ek naav ki manzil ho
saahil pe bana ret ka teela 
registaan mein basaa 'cactus' 
ya sharad ka pashmeena ho!
kabhi ho...kabhi gum ho
mere astitva ka hissa ho

Sagar mein chhupe seep
basant ka darakht ho
ya vipushp patjhar ka rudan
tum meri kavita ke shabd ho
kabhi ho..kabhi gum ho
mere astitva ka hissa ho

(anukathan -conversation ,dialogue, madak -intoxicating, astitva-  existence ,identity, aagosh -embrace, nirbheek-unintimidated,bold, saahil- shore,sea-shore, darakht- tree, vipushp- devoid of flowers )

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कच्ची पक्की धूप में 
शांत या गरजते बादलों में
बहती हवा के अनुकथन में
रात -की- रानी की मादकता में
कभी हो , कभी गुम हो
मेरे अस्तित्व का हिस्सा हो

आसमान की आगोश में
चाँदनी के मेहमान हो
एक निर्भीक अमरबेल हो
अंतर्मन की अभिव्यक्ति हो
कभी हो , कभी गुम हो
मेरे अस्तित्व का हिस्सा हो

एक नाव की मंज़िल हो
साहिल पे बना रेत का टीला
रेगिस्तान में बसा 'कैक्टस '
या शरद का पश्मीना हो
कभी हो , कभी गुम हो
मेरे अस्तित्व का हिस्सा हो

सागर में छुपे सीप
बसंत का दरख़्त हो
या विपुष्प पतझड़ का रुदन
तुम मेरी कविता के शब्द हो
कभी हो , कभी गुम हो
मेरे अस्तित्व का हिस्सा हो



12 comments:

  1. HAPPY MOTHER’S DAY !

    आपने लिखा....हमने पढ़ा
    और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए कल 13/05/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    धन्यवाद!

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  2. thank you Yashwant.... nayi purani halchal par sanjha karne ke liye shukriya

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  3. बहुत बढ़िया भाव .... बधाई !

    सादर !

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  4. बहुत गहरी ... अस्तित्व के हिस्से को शब्दों मिएँ उतारती रचना ...

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  5. सागर में छुपे सीप
    बसंत का दरख़्त हो
    या विपुष्प पतझड़ का रुदन
    तुम मेरी कविता के शब्द हो

    behtareen.......

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  6. बहुत ही सुंदर रचना ..

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    1. कविता जी इस टिपण्णी को इतने दिनों बाद देखा, क्षमा कर दीजियेगा। प्रशंसा के लिए बहुत बहुत आभार

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