Monday, February 04, 2013

RACE..../ रेस.....

Ret ki tarah phisal kar
anayas hi hathon se nikal jate ho,
ik chhoti si muththi mein
bandhna mushkil hai jante ho......

Zid karein bhi to kaise !
Tumhari fitrat bhi to
usi ne banayi hai,
jo yah apeksha karta hai
ham daud mein shamil ho jayen,
daudte rahein....................

Zindagi bhi kya tez bhaag rahi hai,
shamil ho gayi hai race mein.
Chalo ,bhago dono,samay aur zindagi,
tum age nikal jaoge shayad.
Hamne to samet ke rakh liya hai
un yadon ko,jo tum le jana bhool gaye.
Kaise lete bhalaa, ham bhi ziddi hain,
tum tez ho, to mazboot ham bhi hain......
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रेत की तरह फिसल कर
अनायास ही हाथों से निकल जाते हो,
इक छोटी सी मुट्ठी  में
बांधना मुश्किल है जानते हो......

ज़िद करें भी तो कैसे !
तुम्हारी फ़ितरत भी तो
उसी ने बनाई है,
जो यह अपेक्षा करता है
हम दौड़ में शामिल हो जाएँ,
दौड़ते रहें....................

ज़िंदगी भी क्या तेज़ भाग रही है,
शामिल हो गयी है रेस में.
चलो ,भागो दोनों, समय और ज़िंदगी,
तुम आगे निकल जाओगे शायद.
हमने तो समेट के रख लिया है
उन यादों को,जो तुम ले जाना भूल गये.
कैसे लेते भला, हम भी ज़िद्दी हैं,
तुम तेज़ हो, तो मज़बूत हम भी हैं......


2 comments:

  1. हमने तो समेट के रख लिया है
    उन यादों को,जो तुम ले जाना भूल गये.
    कैसे लेते भला, हम भी ज़िद्दी हैं,
    तुम तेज़ हो, तो मज़बूत हम भी हैं

    बहुत अच्छी बात कही आपने


    सादर

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  2. ज़िंदगी भी क्या तेज़ भाग रही है,
    शामिल हो गयी है रेस में.
    चलो ,भागो दोनों, समय और ज़िंदगी,
    तुम आगे निकल जाओगे शायद.
    हमने तो समेट के रख लिया है
    उन यादों को,जो तुम ले जाना भूल गये.
    कैसे लेते भला, हम भी ज़िद्दी हैं,
    तुम तेज़ हो, तो मज़बूत हम भी हैं......

    बेह्तरीन अभिव्यक्ति

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