Tuesday, July 17, 2012

AB TO KAARSAAZ BHI NAHIN BOLTA / अब तो कारसाज़ भी नहीं बोलता .........

Aaina to humse jhooth kabhi nahin bolta
aur sach tumari tarah bhi nahin bolta

Is geele khushbudaar mitti  ko ilm hai judai ka
sau baar poochha humne,pataa fir bhi nahin bolta

Sailab hai yadon ka jisme dil aaj dooba hai
intihaan imtihaan ki,ab to kaarsaaz bhi nahin bolta

Darakhton ne to dekha hoga tumko ate hue
neem se poochha,aaj wo bhi nahin bolta

Poornamasi hai, purnoor hai mera aangan
aaj chaand ne haal poochha,waise kabhi nahin bolta

Is gahri mohabbat ke hum baagbaan hain
manzil door hai,yeh to mera dil bhi nahin bolta
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आईना तो हमसे झूठ कभी नहीं बोलता
और सच तुम्हारी तरह भी नहीं बोलता

इस गीली खुशबूदार मिट्टी को इल्म है जुदाई का
सौ बार पूछा हमने ,पता फिर भी नहीं बोलता

सैलाब है यादों का जिसमें दिल आज डूबा है
इंतिहां इम्तिहान की,अब तो कारसाज़ भी नहीं बोलता

दरख़्तों ने तो देखा होगा तुमको आते हुए
नीम से पूछा,आज वो   भी नहीं बोलता

पूर्णमासी है, पुरनूर  है मेरा आँगन
आज चाँद ने हाल पूछा,वैसे कभी नहीं बोलता

इस गहरी मोहब्बत के हम बागबान हैं
मंज़िल दूर है,ये  तो मेरा दिल भी नहीं बोलता

2 comments:

  1. vah vah पूर्णमासी है, पुरनूर है मेरा आँगन
    आज चाँद ने हाल पूछा,वैसे कभी नहीं बोलता----touching lines

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    1. धन्यवाद अपर्णा.मै तो अभी-अभी १ साल से लिखना प्रारंभ किया है.साहित्य से ज्यादा मेरे मन मे जो विचार आते है उन्हे सरल शब्दो मे बुनने क प्रयास करती हुँ.आप भी मेरा ब्लोग nayanaarati.blogspot.com पर अन्य रचनाऎ पढ सकती है.

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