Saturday, May 19, 2012

SAMAY...../ समय .......


Haath mein coffee ka pyala liye samay ke saath
kuchh purani yadein,kuchh nayi bhavnayein
accha lag raha tha
achanak samay uthke chal dia,darwaze ki or
maine poochha 'kya hua?abhi to aye the,thodi der aur ruk jao'
zara ghoom ke meri ankhon ki or dekha aur bola
'jab main rootha hua hota hoon,tab to kabhi kahti nahin ho?'
'ki abhi to aye the,thodi der aur ruk jao' !
mere honth jaise sil gaye the,zabaan jaise sunn
woh chala gaya,main darwaze ki or taakti rahi
khamoshi chha gayi,
samay kya sachmuch chala gaya!
nahin, shayad yahin hai,mere aaspaas
shayad cofffee ke is ghoont mein



हाथ में coffee का प्याला लिए समय के साथ
कुछ पुरानी यादें,कुछ नयी भावनाएं
अच्छा लग रहा था
अचानक समय उठके चल दिया,दरवाज़े की ओर
मैंने पूछा ' क्या हुआ? अभी तो आये थे,थोड़ी देर और रुक जाओ'
ज़रा घूम के मेरी आँखों की ओर देखा और बोला
'जब मैं रूठा घुआ होता हूँ , तब तो कभी कहती नहीं हो ?'
कि 'अभी तो आये थे,थोड़ी देर और रुक जाओ !'
मेरे होंठ जैसे सिल गए थे ,ज़बान जैसे सुन्न
वो चला गया , मैं दरवाज़े की ओर ताकती रही
ख़ामोशी छा गयी,
समय क्या सचमुच चला गया !
नहीं ,शायद यहीं है , मेरे आसपास
शायद coffee के इस घूँट में ......................

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